Friday, January 15, 2010

We are here! आगाज करे !


इन्नोवेटर्स  क्लब !

एक समूह कुछ आम भारतीय नवजवानों का , जो अभी जीने की कला सीख रहे है , सीख रहे है की कैसे जो अब तक पढ़ा है ( रटा है ) उसका इस्तमाल करके कुछ  कमाया जाये , जैसे की  धन , समृधि , एवं  प्रतिष्ठा , ये  वही तीन पुराने ख्वाब है , जिनको पाने को माता- पिता रिश्तेदार  व् समाज बचपन से ( जब से सपने देखना सीखा है ) ,देखने को कह रहे है ( आज भी कहते है ) , खैर ये बात इशारा करती है की हम आम भारतीय युवक है ,और कोई भी ख़ास काबिलियत अभी तक हमने नहीं देखि खुद में! अब वही एक बात की , कुछ बाते हमे भी दुनिया में अखरती है , अरे ! वही जो हमारे अनुसार नहीं है !  हमने देखा की जब हम बिज़नस मैनेजमेंट में एक अरबपति की जीवनी पढ़ के घर वापसी को  रोड पे ऑटो का इंतज़ार करते है ,तभी पता नहीं कहा से  अचानक  कुछ छोटे छोटे  बच्चे , हमारे १० करोण  के कोलेज के सामने भीख मांगने आ जाते है , बड़ी करुना उठती है ,जेब में हाथ भी जाते है , फिर सोचते है ( सबको देख कर) की अरे आज मै १० रूपए दे दूंगा तो  इससे इनका क्या भला होगा , फिर एक को ऊंची आवाज में शेखी बघारते हुए कहते है की कुछ काम क्यों नहीं करते ,चलो मै तुम्हे काम दिलाता हु !! , भीख मांगना बुरी बात है ....और पता नहीं क्या क्या ...फिर वो १० का नोट वापस जेब में   (पैसे बचे)! खैर वापस आये ,अगले दिन फिर पढ़ा ( सुना ) की भारत  देश ( हमारे देश ) ने बहुत  प्रगति कर ली है , आभास  हुआ ( करवाया गया ) की इकोनोमिक ग्रोथ  वाकई में हो रही है!, वापस बाहर आये तो देखा क्या की फोटोकापी  वाले दुकानदार परसों रात से बिजली के आने का इंतज़ार कर रहे है!!! अब क्या बताये पापा ने बुक खरीदने के  लिए जो पैसे दिए थे उसमे कुछ  तो कल , परसों की अब्सेंट के फाइन में दे दिए ! अब कुछ बचे है की बस फोटो कापी ही करा सकते है !! और भी ना जाने कितनी ऐसी दैनिक घटनाए जो हमे भ्रम और यथार्थ का फर्क दिखाती थी ,और वास्तविकता का आभास कराती थी ,हमारे साथ दिन भर में घटित  होती रहती थी , हर मंथन का एक ही जवाब , अरे अभी हम क्या कर सकते है , हम है ही किस काबिल , और हम क्यों करे ..( जवाब बहुत सारे सवाल ले के आते थे )


अब इतना तो विश्वास हो गया होगा की हम आम है , अब बात पते की , हम काफी दिनों ( वर्षो तक ) यह सोचते रहे की अरे हम ज़िम्मेदार नहीं है सबके लिए , और है भी तो हम क्या कर सकते है , अपना ही गम दूर कर ले फिर देखेंगे ! शायद इसका कारन ये रहा होगा की हम अकेले थे ,हमारे विचारों की दिशा सही नहीं थी या फिर एक चिंगारी की कमी थी , काफी दिनों तक यह चलता रहा , एक घुटन सी होती थी ( बिलकुल वैसी ही की एक नदी और एक प्यासे के बीच में आप आ गए हो!),जीवन की प्राथमिकताए हमे जानबूझकर इस एहसास  के घेरे में रखे रही की हमरा सामजिक सरोकार सिर्फ एक हाँथ दे, और एक हाँथ ले का है!

विगत वर्षो शायद कुछ खगोलीय घटना कहे या फिर कोई चमत्कार , अचानक हमे अपने अन्दर कुछ प्रतिभा छिपी दिखी , हमने अपने आप में देखा की हमारी सोंच में कुछ बदलाव आया ,शायद कुछ महान  विभूतियों के जीवन  दर्शन करके ,कुछ जीवन के अनोखे एवं अलोकिक अभासो  से अमुख होके ,आप यकीं जानिये सारे गृह शायद एक दिशा में आ गए होंगे ..... और  इन्नोवेटर्स  क्लब का जन्म हुआ...........

माफ़ कीजिये ऐसा सिर्फ फिल्मो में  होता है ! यह तो बस एक प्रयास था एक बार फिर से आपको एकसास दिलाने का की हम आम  है !

अब मिलिए कुछ लखनऊ  शहर के आम छात्रो से :-



सुमित प्रणव :-

एक भावी महान सॉफ्टवेर इंजिनियर से , हमारे देश में सिर्फ एक ही सुमित प्रणव हो सकता है .... क्युकी दुसरे की कोई जरुरत नहीं ..जी हां जितना मै जानता हु ,यह एक ऐसे शख्शियत है जिनकी उम्र और कद से उनकी काबिलियत का अंदाजा कोई नहीं लगा सकता , बचपन से ही जिसे कल्पना शक्ति की पराकाष्ठा कहते है , उसे ये जनाब कई बार छु के वापस आ चुके है , पूर्णिया बिहार के मूल निवासी २४ वर्षीय इस आईटी प्रोफेशनल  का  एक ख्वाब है की भारत में टलेंटड  भारतीयों की एक ऐसी कम्युनिटी बने जाये , जिसका लोहा पूरा विश्व माने , ना सिर्फ ये कम्युनिटी एक ऐसा प्लेटफार्म तैयार करेगी जो भारत के उन बच्चो के लिए जिनमे आगे बढ़ने के सभी DNA (लक्षण ) है ,उन्हें मदद करेगी निखारने में ,उनको  हर संभव संसाधन  उपलब्ध  कराएगी !कई  इनोवेशन  अवार्ड जीत चुके ,औए कई सॉफ्टवेर बना चुके इस  टेक्नोलोजी मेनेजर  को हमेशा तलाश रहती है ऐसे काबिल आम  इंसानों की जोकि " सुमित के शब्दों  में " " कुछ नया करने की चाहत रखते हो , इन्नोवेटिव  हो "!

निखिल द्वेवेदी :

बड़े ख्वाब ...बड़े प्रयास ...बड़े रिस्क... बड़े फायदे .... इनके सारे काम बड़े कायदे से होते है , एक  ऐसा शख्स जो कि भारत से बड़ा प्यार करता है , यहाँ की संस्कृति ,यहाँ का समाज बड़ा ही प्यारा है , इतना की अगर ये वेदेशी होते तो भारत के नागरिक बनने को ये जनाब सिर्फ १८ साल लगाते ,अदब की नगरी लखनऊ के ये आईटी प्रोफेशनल की चाहत है की देसी जबान , भारत की विविधता में एकता कायम रहे , हर वो चीज़ जो भारत को भारत बनाती है , यहाँ रहे , आगे बढे विकास करे पर एक रहे , शिक्षा का प्रचार प्रसार हो ,सभी को एक जैसी शिक्षा मिले , कम से कम भारत में ,अब वो चाहे टेक्नोलोजी के सहारे हो , या फिर सरकारी स्कूलों के माध्यम से ,पर शिक्षा के लिए जो भी बन पड़ेगा ये करेंगे ! इन्हें तलाश है कुछ साथियो की जो सलीके से कुछ नया करना चाहते है ,कुछ इनकी मदद करे कुछ इनसे मदद ले ,पर आगे बढे और सफलता को पाए !

विकास :

ये जरूरी नहीं की जो दिखता है वही बिकता है ..... एक बिहार के छोटे से गाव से एक  आम लड़के का लखनऊ में (घर से भाग के ) पढने आना .....सिर्फ २ वर्षो में ही पढ़ने से पढ़ाने वाला बन जाना ...कुछ तो बात है ख़ास ...ना सिर्फ  खुद को इस्थापित  करना बल्कि माँ के बताये रास्ते पे चल के जीवन के  वो कठिन रास्ते और कटु अनुभव ( पिता का देहांत, घर की  आर्थिक दशा  ) पार करना ,शायद ये कुछ बाते है जो इशारा करती है की ये जनाब कुछ तो दर्द बाँट  सकते है ,और ये एहसास कर सकते है उन जरूरतों का जिनकी उनको आवश्यकता है जो वंचित है ,बहुत से सुखो से ,शायद जिनके वो हक़दार है !

और

अमित ज्ञान चंदानी

लगनशील ,मेहनती , एक  बेहतरीन छात्र ,आज  CA  कहलाने की कगार पे खड़े है , किसी भी कार्य को ख़ास तरीके से करना इनकी खासियत है ,ये शायद बने ही अकाउंट की दुनिया के लिए है !

प्रसून गुप्ता

बस एक आम  छात्र .... लड़का ....अच्छा सेल्समेंन .......खैर बहुत सोचना और सबसे अच्छा सोचना ये दो काम बहुत आसानी से कर सकते है !

अब जब इतने सारे आम लोग एक साथ मिले से मिलेंगे तो शायद कुछ ख़ास होना ही था ,शुरूआत हुई मुलाकात से ,हमारी आपस की कुछ बात से .. पहला काम ये सोचा की क्या कर सकते है ..फिर पता लगाया कैसे कर सकते है ....जुटाया हमने वो सब ( समय ,थोडा पैसा , बहुत सारे अच्छे विचार, बहुत सारा ज्ञान,  ) जिसकी जरुरत थी शुरुआत के लिए ,और आगाज़ किया २००७ में एक छोटे से आयोजन के  साथ कुछ बच्चो के लिए  ( सरकारी स्कूल के ) एक टेलेंट हंट जिसमे कुछ ४००  बच्चो ने हिस्सा लिया , पूरा मंदिर (आयोजन स्थल  ) भरा था प्यारे से बच्चो की कतारों से , खूब तालिया बजी , बच्चो को पुरूस्कार बटे.... क्या समां था , ख़ास बात ये थी की महज १० दिन और १२ छात्रों की ( majority of them belonged to BCA IGNOU 2005 batch(UPTECH Lucknow) मेहनत  से २१  स्कूलों तक हमने  अपनी  बात  पहुचाईप्रोत्साहन देने  का एक छोटा सा  सार्थक  प्रयास हमने किया ! इसके बाद बहुत सारे छोटे छोटे कार्य करते गए (Campaigns, tuition, training, expansion of network etc), फिर हमने एक पहचान कायम की इन्नोवेटर्स  क्लब के नाम से अक्टूबर २००८ में हमने इस नाम को पंजीकृत करवाया , और फिर जुट गए कुछ खोजने में ..... ...


क्या करना चाहते है

हर वो कार्य

जो सुनिश्चित करे की भारत में वो ६  मूल अधिकार सामान रूप से सभी नागरिको के  पास है ,और वे सभी इनके उपयोग के बारे में जागरूक  है !
जो भारतीय गणराज्य को सबसे विकसित ,सबसे  वैभवशाली एवं सबसे संपन्न देश की कतार में पहला बनाए !
जो भारत को मानवता का स्वर्ग बनाये !
जो एक कारण  बने भारतीयों  को भारतीय नागरिक  होने पर गर्व का एहसास दिलाने का !

और जब इतना कर लेंगे तब कुछ और कार्य है !

विश्व को एक अनूठा तोहफा एक आदर्श समाज ,एक आदर्श देश का ,भारत देश  के रूप में !

और फिर

शायद  दुनिया का ` कल` बेहतर हो जाएगा !
कैसे करेंगे !

विचारों को मानवहितकारी उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु कार्यो के अविष्कारों की और प्रेरित करके !
अपनी भावनाओं को आप तक पंहुचा के !
अपनी व्यस्त दिनचर्या और जीवन व्यापन के सभी  प्रयासों के साथ-साथ ,कुछ  समय इस उद्देश्य के   लिए  !
विज्ञान ,सूचना प्रोद्योगिकी एवं समाज को एक सूत्र में पिरो के कल्याणकारी सर्वहित कार्य करके !


आप और हम कुछ करेंगे , कुछ आपके विचार कुछ आपकी काबिलियत से हम सीखेंगे और हम दोनों मिलके इस ज्ञान की ज्योति से औरो को रोशन करेंगे , इसी तरह हमारा कारवा बढ़ता जाएगा ,और एक दिन ये सपना सच हो जाएगा की  आने वाला  कल आज से बेहतर हो जाएगा  !